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यूं ही तो नहीं जुड़ते ये नेह के बंधन स्नेह के बंधन जब मुश्किलों के वक्त कोई हाथ बढ़ा दे घनघोर अंधेरों में जैसे दीप जला दे क्या रूप उसका देखें ...